अहमदनगर सल्तनत के बहादुर निजाम शाह एक नाबालिग ही थे जब 1600 में सम्राट अकबर के बेटे राजकुमार दनयाल ने अहमदनगर पर हमला किया और पूरे शाही परिवार को कैद कर लिया था। बहादुर निज़ाम शाह ने अपना लगभग पूरा जीवन ग्वालियर जेल में बिताया और वहीं उनकी मृत्यु भी हो गई। सन् 1698 में उनकी मौत पर उनके मृत शरीर को दफन के लिए अहमदनगर ले जाया जा रहा था, लेकिन उसे चंदेरी में ही दफन करना पड़ा था।
जामा मस्जिद के पास चंदेरी-मुँगोली सड़क पर स्थित इस मकबरे को मुगल शैली में बनवाया गया है। डिजायन में वर्गाकार इस संरचना के चारों ओर चार स्तंभ है जो कि एक गुंबददार अधिरचना को समर्थन कर रहे हैं।
संत शेख राजी की बेगम का मकबरा जो कि चकला बावड़ी पर बनाया गया है चंदेरी में एकमात्र अन्य मकबरा है जो मुगल शैली में बनवाया गया है।