यह सराय या आरामगाह काजी इब्न मेहरान द्वारा ग्यासुद्दीन खिलजी के शासनकाल के दौरान बनवाया गया था। हालांकि आज यह खंडहर में तब्दील है, ऊंचा मीनारों से इस संरचना के राजसी अतीत का पता चलता है। इस इमारत में एक केंद्रीय आंगन को घेरे एक धनुषाकार कालनेड है और तीन अलग-अलग फाटकों के तथा संभवतः एक चौथे फाटक का भी अवशेष हैं।