चंदेरी- मोंगावली रोड से होकर, जामा मस्जिद के निकट स्थित, अंदर शहर या भीतरी शहर का यह साइट भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के संरक्षण के अंतर्गत आता है। हालांकि कब्रों को हजरत निजामुद्दीन के परिवार के सदस्यों का कहा जाता है, लेकिन अगर अधिक सही तौर पर कहा जाये तो ये चिश्तिया निजामिया संप्रदाय के अनुयायियों के हैं।
यह परिसर अनेक कब्रों से पटा पडा़ है जिनमें से ज्यादातर खुले आकाश के नीचे ही हैं। लेकिन कुछ महत्वपूर्ण लोगों के कब्र गुंबदाकार संरचनाओं के भीतर स्थित हैं। सिर्फ एक कब्र की संरचना अभी भी बरकरार है, गुंबदों और चार अन्य कब्रों की दीवारों के भाग ढ़ह चुके है। सबसे प्रभावित करने वाला तथ्य है कब्रों और शिलालेखों दोनों पर अत्यधिक बारीक पत्थर की नक्काशी।
कब्रों के एक शिलालेख पर उल्लेखित है कि वह कब्र सन् 1425 ई. में होशुंग शाह घोरी के शासन के दौरान उनके मंत्री मलिक सालार द्वारा बनवाया गया था। इस पूरे परिसर को 15 वीं सदी में बनाया गया होगा।