पुराने मदरसा के निकट स्थित इस बावडी़ या सीढ़ीनुमा कुँआ का निर्माण सन्1485 ई. में चंदेरी के तत्कालीन शासक, शेर खान गाजी, के आदेश के तहत काजी – इब्न – मेहरान के द्वारा करवाया गया था। यह कुँआ गोलाकार है और विपरीत दिशा से दो सीढ़ियां इसमें उतरने के लिये बनवायी गयी हैं। वहाँ दो धनुषाकार प्रवेश के रास्ते हैं और ये दो शिलालेखों द्वारा घिरे हैं। शिलालेखों से हमें पता चलता है कि शेर खान गाजी के शासनकाल के दौरान चार निर्माण करवाये गए थे।
ये थे: यह सीढ़ीनुमा बावड़ी, एक महलनुमा कारवां सराय, एक मस्जिद और एक बगीचा जिसे आतिशे नमरूद के नाम से जाना जाता है।
बगीचे का कोई अवशेष नहीं हैं और आराम घर का खंडहर हा देखा जा सकता है। हालांकि, सीढ़ीनुमा कुँआ और मस्जिद बच गये है।