दिल्ली दरवाजा, शहर के किलेबंदी में से एक मुख्य द्वार, इसका नाम शायद इसलिये दिया गया था कि इसका रूख उत्तर यानी दिल्ली की ओर था। आज यह व्यस्त सदर बाजार, जो कि चंदेरी में खरीदारी का मुख्य क्षेत्र है, के मुख्य प्रवेश द्वार के रूप में काम करता है।
फाटक से सटे दीवारों पर हाथियों पर सवार और हथियारों को पकडे़ घुड़सवार सैनिकों की बडी़-बड़ी नक्काशियों को पाया जा सकता है। इस चित्रण के बारे में सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात है कि इस तरह के मुर्त्ति सरीखा चित्रण मुस्लिम निर्माणों में लगभग कभी नहीं पाए जाते हैं।
गेट राज्यों के कट्टर है कि फाटक के ऊपर फारसी और अरबी में एक शिलालेख में यह दर्ज है कि इसका निर्माण सुल्तान नुसरत शाह के शासनकाल के दौरान दिलावर खान गोरी के देखरेख में शुरू हुआ था। यह वर्ष 1411 ई. में पूरा हुआ जब होशुंग शाह मालवा के सुल्तान थे।