नानुआन गांव के पास, उर्वशी नदी के किनारे-किनारे इस पूरे क्षेत्र में मानव अस्तित्व के प्राचीनतम सबूतों को पाया जा सकता है। बलुआही पत्थरों वाले रॉक संरचनाएँ, जो कि आदिमानवों के लिए धूप और बारिश से आश्रय के रूप में काम आता होगा व साथ-साथ उसकी कला की अभिव्यक्ति के लिए यह एक कैनवास भी बन गया होगा। इन सभी शैल चित्रों को छोटा भरका से भरका झरना तक पाया जा सकता है।
इनमें से अधिकांश बस लाल गेरू से रंगे हैं और इस काल के खानाबदोश मनुष्यों की चिंताओं को प्रतिबिंबित करते हैं। शिकार के दृश्य, मानव हथियार लिये हुये और सवारी करते हुये, जानवर जिनमें बैल, गाय, हिरण, स्टैग्स, बाघ, हाथी, ऊंट, बंदर, मगरमच्छ, सांप आदि, पक्षियों और यहां तक कि मधुमक्खी के छत्ते सहित सभी अंकित हैं। इन चित्रों के बनाने का काल पैलियोलिथिक काल जब सीधी छड़ी की तरह रेखा चित्र बने से लेकर निओलिथिक काल तक का है जब आंतरिक पैटर्न और उनके अंदर रंग भरा गया।
नानुआन के पेंटिंग्स क्षेत्र में एकमात्र रॉक चित्र नहीं हैं। इसी तरह के चित्र राजा गुफा, गिधकल, चिरौली (बेलान नदी के साथ), भारकी, आमखो (घोड़ा पछाड नदी के साथ), देवकनी की पहाड़ियों, थूबोन (लिलाट नदी के साथ) गुफा आश्रयों में भी पाये गये है।