इस त्योहार के साथ जुड़े पौराणिक कथा का दावा है कि भगवान रामचंद्र फाल्गुन के महीने में अपने तेरह साल लंबे वनवास के दौरान चंदेरी को पार कर इस भूमि को पवित्र किया। इसी कारण, रंग पंचमी होली के पांच दिनों के बाद करीला की एक पहाड़ी के शीर्ष पर फाल्गुन के महीने में मनाया जाता है।