चंदेरी का कोई उल्लेख होता है और मन में शहर नहीं आता है वरन् यहाँ के बुने रेशमी कपड़े आते है। लगभग हरेक घर में करघा और सड़कों पर खटका की सतत प्रतिध्वनि के साथ, बुनाई सचमुच में शहर के दिल की धड़कन है। दूसरे सहायक पारंपरिक व्यवसायों में बीड़ी बनाना, बांस बुनाई, पत्थर उत्खनन और ड्रेसिंग, मिट्टी के बर्तन बनाना आदि शामिल हैं।
चंदेरी का भाग्य हमेशा से इसके बुनकरों के भाग्य के साथ जुड़ा हुआ रहा है। इसलिए, शहर का इतिहास इसके कलात्मक परंपरा पर एक नज़र दिये बिना अधूरा रहेगा।
हालांकि बुनाई बहुमत जनसंख्या के के लिए आजीविका का मुख्य विकल्प है, घरेलू आय में बीड़ी बनाने के मिली आय पूरक का काम करते हैं। इसमें आमतौर पर परिवार के महिलाओं और लड़कियों को रोजगार मिलता है जो अपने घरों के दरवाजे पर बीड़ी की पत्तियों को सुखाते और जब वे सूख जाते हैं तो उनमें तंबाकू भरते हुए देखे जाते है।
बांस से बुनाई
उत्पादों के लिए कच्चा माल स्थानीय वन से प्राप्त होता है, जो शहर के आसपास के क्षेत्रों में पड़ता है। बांस बरसात के मौसम के दौरान प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, तभी बांस की बुनाई सबसे अधिक की जाती है। बांस बंसोर समुदाय का पारंपरिक व्यवसाय है।
क्योंकि चंदेरी मालवा पठार पर अवस्थित है, इसके आसपास का क्षेत्र बलुआही पत्थर से अत्यंत समृद्ध है। यह पत्थर आसपास के क्षेत्रों से बड़े पैमाने पर उत्खनित होता है और फिर भेजा जाता है।