बनावट से ज्यादा नहीं लेकिन मस्जिद-ई-उस्मानी ऐतिहासिक महत्व का अधिक है। यह चंदेरी में पहली मस्जिद है जिसका भवन व शिलालेख दोनों बरकरार है। मस्जिदों के शिलालेख के आधार पर ये पाया गया है कि यह सभी वर्तमान मस्जिदों में सबसे पुराना है। शहर के सदर बाज़ार क्षेत्र में स्थित यह मस्जिद दिल्ली के सुल्तान मोहम्मद शाह तुगलक के बेटे फिरोज शाह के शासनकाल में बनाया गया था।
फ़ारसी में नस्ख अक्षरों में लिखा शिलालेख में चार लाइनों में सजाये आठ छंद के होते हैं। मस्जिद के निर्माण की तारीख इसमें एएच 795 या सन् 1392 ई. के रूप में दर्ज है और इसमें दिलावर खान, उस समय के चंदेरी के गवर्नर को एक मुख्य दरबारी के रूप में वर्णन है।
एक और चंदेरी निवासी के घर से बरामद शिलालेख से पता चलता है कि दिल्ली के अलाउद्दीन मुहम्मद खिलजी के शासनकाल में सन् 1312 ई. में एक मस्जिद की स्थापना हुई थी। हालांकि मस्जिद नहीं बच पाया है, इसका शिलालेख चंदेरी में एक मस्जिद के निर्माण का सबसे पुराना लिखित साक्ष्य प्रस्तुत करता है।
शिलालेख फ़ारसी में सुल्स लिपि में लिखा है, जो निम्नलिखित चार लाइनों के होते हैं:
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मस्जिद का निर्माण शानदार सुल्तान अलाउद-दुनिया वाल -दीन, उस काल के सिकंदर, अबुल-मुजफ्फर मुहम्मद शाह के राज्य के शासनकाल में किया गया था,
सुल्तान, अल्लाह उसके राज्य और संप्रभुता को बनाए रखे, और उसके काजकाज व स्थिति को आगे बढ़ाये, और नियाबत अमीर – उल – उमारा के काल में,
दीनों को शरण देने वाले, इखतियारूद-दौलत-वाल-दीन, ईरान के चैंपियन, तामुर सुल्तानी, अल्लाह उनके गौरव को बढ़ाये और उनके भाग्य में वृद्धि करें!
शांति के दरबार में, इस्माइल, अब्दुस-सलाम के बेटे, जिन्हैं वजीह-ई-नाजीब बुलाया गया, कोल जिले में कार्यरत मुहरीर, ने इसे साल सात सौ ग्यारह को शबान की 20वीं तारीख को पुरा किया।.