वर्तमान में एक जीर्ण – शीर्ण अवस्था में यह मस्जिद शहर के दक्षिण में धोबिया तालाब के पास स्थित है। एक शिलालेख के अनुसार इसे सन् 1462 ई. में महमूद खिलजी के शासनकाल के दौरान नैब – ए – आरिज, मोहम्मद बिन जैन, के द्वारा बनबाया गया था। मस्जिद के मेहराब असाधारण रूप से सुंदर हैं, जिसे फूलदार व अन्य नक़्क़ाशीदार ज्यामितीय रूपांकनों के साथ सजाया गया है।
महमा शाह टेकरी, शहर के उत्तर – पश्चिम में एक अकेली पहाड़ी है जिसकी चोटी पर संत हजरत महमा शाह का मकबरा स्थित है। सन् 1462 ई. का दिनांकित एक शिलालेख मे उल्लेखित है कि यह मजार एक शानदार गुंबद द्वारा ढ़ंका था, लेकिन यह अब वर्तमान में नहीं है। हरेक महीने के पहले दिन इस संत के भक्त कब्र पर प्रार्थना और चादर चढ़ाने के लिये आते हैं।
मूलतः एक सीढ़ीदार कुँआ जो अब जलमग्न हो चुका है, लाल बावड़ी वास्तव में एक तालाब है। छायादार पेड़ों से घिरा हुआ यह जगह स्थानीय लोगों के लिए एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है। तालाब के पास स्थित पहाड़ी में एक मुस्लिम संत की कब्र है जो लाल बावड़ी टाकिया के रूप में जाना जाता है। इस कब्र के निकट एक और बावड़ी स्थित है जिसे की एक पूरे पत्थर से काट कर बनाया गया है और इसलिए इसे एक पत्थर की बावड़ी के रूप में जाना जाता है।
पहले अपने महल और हवेलियों के लिए प्रख्यात, कहा जाता है कि चंदेरी में कभी 260 महल थे। आज यद्यपि उनमें से केवल 43 बचे हैं। अंदर शहर में स्थित राजा रानी महल या राजमहल, वास्तव में दो अलग – अलग महलों को मिलाकर बना है। भव्य राजा महल एक सात मंजिला इमारत है जिसे कि अब छोटे रानी महल में संलग्न कर दिया गया है।